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Wednesday, July 10, 2013

उससे कहना कि

उससे कहना कि
जिंदगी बहुत खूबसूरत है
और,
मैं उसे बेहद चाहता हूँ ।
मैं और जीना चाहता था
गले-गले तलक,
छक जाने की हद तक
तुम्हारे साथ
इसी तरह, बरसों
पर ये उन्हें मंजूर नहीं था ॥

उससे कहना कि
ये बदकिस्मती नहीं थी हमारी
एक साजिश थी
हमारे खिलाफ, उन चंद लोगो की
जिनके हाथ में है
संसद, कचहरी, फौज, फैक्ट्रियां
कि कायम रहे
उनकी जिंदगी की चमक
उनके पाँच तारा होटलों मैं लटकते विशाल फानूस,
गोल्फ के घास,
अरबी घोडों की तरह ।
उनकी खूबसूरतियों
खुशियों की भेंट हुए हैं
हमारे दिन और रात ॥

उससे कहना कि
जिंदगी बहुत खूबसूरत है
और कोई चाहे कुछ भी बकवास
तुम मत मानना ॥
जानना कि
इसमे जो भी बदसूरती है
पैदाइश है उन लोगों की, जिन्होंने
अपने सुख की खातिर
हमारी परेशानी के सामान खड़े किए हैं ॥

कि तुम
इस सच को पहचानना .

जानना कि
ये बदसूरती के धब्बे
जिनके चलते हैं
उनसे ज़ंग लाजिमी है
कि ये
मोजूद है
हमारे इर्द गिर्द
अलग अलग भेष मैं
गडबडी पैदा कर
उसकी गड़बड़ परिभाषा बनाये हुए
कि छिपा रहे उनका सच
हमारी नज़रों से

ये परिभाषायें मुझे मंज़ूर नहीं थी
कि ये
झूठ हैं, इनके गडे हुए,
इन्ही के लिए ।

उससे कहना कि
तुम पैदा करना
इन परिभाषाओं के आर पार देखने की
एक नज़र ।
जानना, कि
शैतान के तर्क के दमख़म से
प्रभावित होने से ज्यादा जरूरी है
उसकी मंसा पहचानना
कि तर्क महज परदे हैं
मोटे-मोटे, रेशमी, चटक, चमकीले
कुछ छिपाने के लिए

उससे कहना कि
इंसानी प्यार और विस्वास
अनमोल पूँजी है हमारी
ये कसौटी है
हर ढांचे को परखने की

कि तुम इन ढांचों को मापना सीखना
जानना, कि
जिंदगी बहुत खूबसूरत है
और इसे यूँ ही बनाये रखना
लाजिमी है
किसी भी कीमत पर ।

उससे कहना कि
पेट की आग सब कुछ नही होती ।
एक आग
दिल में भी जलती है
हर इंसान के
कभी न कभी
उम्र के किसी न किसी दौर में ।
कि तुम पेट की आग बुझाते वक्त
इस आग को न बुझने देना
औरों की तरह ।
जानना कि
दिमाग के उजाले की खातिर
ये आग जलाये रखना लाजिमी है
किसी भी कीमत पर ॥

उससे कहना कि
अस्तित्व के प्रश्नों से जूझने से
ज्यादा जरूरी है
अस्तित्व का भास होना ,
मुस्कुराना और
अपने इर्द-गिर्द मुस्कराहट फैलाना ।
कि जिंदगी को समझने की जिद
बेमानी है
जिंदगी जीने की चाह के आगे,
जिंदगी बांटने की खुशी के आगे ।

कि तुम हँसी बांटना ।
एक चेहरे पर,
दो चेहरों पर,
हज़ार चेहरों पर,
जहाँ तक तुम जाओ,
जहाँ तक जा सको
और रोकना उन्हें जो तुम्हे रोकें ।

उससे कहना कि
इस दुनिया का सबसे बड़ा सच है,
हमारा जिन्दा होना,
इंसान की शक्ल में
कि सबसे बड़ी खुशी है,
एक बच्चे का हँसना,
कि सबसे बड़ी जरूरत है,
जिन्दा रहना,
कि सबसे बड़ी जीत है,
सुखी रहना, जिंदगी भर,
जीत, जो
कभी किसी को
हासिल नही होती,
भ्रम में भी नहीं ॥

कि सबसे बड़ा पाप है,
अपने सुख को चलाने के लिए,
दूसरों के दुखों के बीज बोना,
कि पटवारी की घूस हो
या इराक पर हमला
एक ही समझ के दो रूप हैं
भिन्न -भिन्न आयामों में
भिन्न -भिन्न रूपों मैं ।
कि सबसे बड़ा पुण्य है,
जानते -बूझते
दूसरों के बाग़ बसाना
चाहे, वो फूल
चार दिन ही खिले ॥

उससे कहना कि
जिंदगी बहुत खूबसूरत है,
और
इस खूबसूरती को
बढाना, बांटना लाजिमी है
किसी भी कीमत पर ।

उससे कहना कि
सच टेढे़-मेढे़ रास्तों पर नहीं
पानी की सीधी धार में है ।
साफ़ निर्मल धार में ।
कि तुम रोकना उन्हें,
जो
रपटीली, गन्दी,
पगडंडियों की मिट्टी से मैला करें,
इस धार को ॥

उससे कहना कि,
सच शून्य में नहीं,
हमारे भीतर है,
और
अभिव्यक्ति चाहता है,
हर पल ।
कि तुम उशे बाहर आने देना
दिल की धडकनों से,
पसीने के पोरों से,
आंखों के कोनो से,
फैलने देना चारों ओर, कि
उजाला हो , और
सब पहचाने
सब कहें -
वो है सच,
एक इंसान का सच,
हर इंसान का सच
और फिर चाहे
इस उजाले की खातिर लिखना पडे
तुम्हे भी
एक अन्तिम पत्र,
मेरी तरह ॥