गांधीजी का अपनी राजनीतिक यात्राओं के दौरान धन संग्रह जारी रहता था । जिस गाँव, कसबे व जिले से कितना धन संग्रह हुआ, इसका हिसाब वे प्रकाशित करवाते थे । वे बहुत बारीकी से इसका हिसाब रखते और खुद उसे जाँचते थे । उनका मानना था कि जब जनता हमें सहयोग देती है तो असल में वह हमें अपना विश्वास सौंप रही होती है, इसलिए उसकी रक्षा करना बहुत जरूरी है । उनकी इस आदत को उत्तराखंड के लोगों ने प्रत्यक्ष देखा । एक चर्चा ऐसी ही कुछ घटनाओं पर हुई ।
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