Pages

Friday, July 16, 2010

गीदड़ की शादी

गीदड़ की शादी में देखो
शेरे बबर है माइक उठाये
मस्त -मस्त हो गाना गए,
हाथी दादा झूम रहे हैं
नाच -नाच कर मजा लुटाय,
भालू जी ने किचन संभाला
गैंडे से बर्तन मंझ्वाये,
चीता चावमिन बाँट रहा है
बीबी उसकी चाट बनाये ।

मेहमानों के बीच में बैठे
लोमड जी हैं गप लड़ाए
हाथ हिला कर आर्डर करते
बाघिन से ठंडा मंगवाए,
बिल्ली रानी साडी पहने
मोरों से पंखा झाल्वाए ,
बिल्ला राजा मूंछ मसलते
दम हिलाता कुत्ता लाये,
सियार जी ने रंग है माथा
पंडित का हैं भेष बनाये,
काक भुसुंडी बगल बैठाया
शादी के मंतर पद ,

कैसी है ये अजब कहानी
नाच दिखाने हाथी जाये
गाना सबको शेर सुनाये,
गीदड़ की शादी में देखो
जंगल के सब राजा जाएँ
झुक -झुक कर सलाम बजाएं ।

अब तो भैय्या यही कहानी
हर जंगल में देखी हमने
जितनी जंगल हम जो जाये
यही कहानी घटती पायें ।
तुम भी अचरज करना छोडो
कैसे भी हो आदत बदलो
जंगल में जो रहना हो तो
रिवाज पुराने सारे तज लो ॥