कौन कहता है
शब्द जरूरी हैं,
कुछ कहने के लिए ।
कोई आकर तो पूछे
मेरी छः माह की बच्ची से,
वो कहती है
सब कुछ
बिना शब्दों के ॥
उससे कहना कि अस्तित्व के प्रश्नों से जूझने से ज्यादा जरूरी है अस्तित्व का भास होना , मुस्कुराना और अपने इर्द-गिर्द मुस्कराहट फैलाना ।